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हा हा हा, ही ही ही , हु हु , हे हे ......... हँसते- हँसते कट जाये रस्ते !!
Saturday 30 June 2012
MUST Read LINKS ... 4 ALL !!
Thursday 28 June 2012
लड़की को लिफ्ट देने से पहले इसे पढ़ लें
एक सुनसान सड़क पर लड़का कार से जा रहा था...
उसने एक लड़की को सड़क पर पैदल चलते देख कार रोक कर पूछा...
लड़का: मैडम, क्या आपको लिफ्ट चाहिए?
लड़की: नहीं, प्लीज मैं तीन दिन से लिफ्ट ही ले रही हूं, आज मुझे घर जाने दो...!!!
उसने एक लड़की को सड़क पर पैदल चलते देख कार रोक कर पूछा...
लड़का: मैडम, क्या आपको लिफ्ट चाहिए?
लड़की: नहीं, प्लीज मैं तीन दिन से लिफ्ट ही ले रही हूं, आज मुझे घर जाने दो...!!!
ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर
प्रेमसुख: इस दिन का तो मुझे कब से इंतजार था।
चमेली: तो मैं जाऊं?
प्रेमसुख: ना ! बिल्कुल ना।
चमेली: क्या तुम मुझसे बहुत प्यार करते हो?
प्रेमसुख: हां। पहले भी करता था,करता हूं और आगे भी करता रहूंगा।
चमेली: क्या तुम कभी मेरे साथ धोखा करोगे?
प्रेमसुख: ना। इससे अच्छा तो यह होगा कि मैं मर ही जाऊं।
चमेली: क्या तुम हमेशा मुझे प्यार करोगे?
प्रेमसुख: हमेशा।
चमेली: क्या तुम मुझे कभी मारोगे?
प्रेमसुख: ना। मैं ऐसा आदमी नहीं हूं।
चमेली: मैं क्या तुम पर भरोसा कर सकती हूं?
प्रेमसुख: हां।
चमेली: ओ हो डार्लिग।
सगाई के 5 साल बाद
अब इसे नीचे से ऊपर की ओर पढ़े।
Monday 25 June 2012
मालकिन की हॉट साड़ी
कामवाली गुस्से में अपनी मालकिन से..
कामवाली: बीबी जी, आप अपनी साड़ी वापस ले लो..
मालकिन: अरे, क्यों?
कामवाली: जब भी मैं यह साड़ी पहन कर आती हूं तो साहब आपको समझ कर मुझे हाथ भी नहीं लगाते और उधर ड्राइवर-माली मुझे छेड़ते रहते हैं।
संता और बंता परीक्षा देने गए..
संता : यार आंसर शीट पर क्या लिखूं?
बंता : लिख दे कि सभी जवाब काल्पनिक हैं, जिनका किसी भी किताब से कोई संबंध नहीं है ..!!!
संता : यार आंसर शीट पर क्या लिखूं?
बंता : लिख दे कि सभी जवाब काल्पनिक हैं, जिनका किसी भी किताब से कोई संबंध नहीं है ..!!!
दुकान पर जाकर उसने कहा: भाई साहब एक अंडा देना..
दुकानदार ने हैरान होकर पूछा: तुम्हें अंडे का क्या करना है?
मुर्गी बोली: मेरे पति ने कहा है कि 2 रुपये की चीज के पीछे तू अपना हॉट फिगर क्यों खराब कर रही है...!!!
टीचर को भारी पड़ा बच्चों को महाभारत का ज्ञान देना।
टीचर: धतृराष्ट्र के 100 पुत्र थे, और पांडवों के सिर्फ 5, ऐसा क्यों?
स्टूडेंट: मैडम, क्योंकि जिनकी आंखें होती हैं, उनके पास और भी काम होते हैं..।
सुहागरात के दूसरे दिन ..
दोस्तों ने पूछा: सुहागरात कैसी रही..?
मोबाइल वाला: कुछ मत पूछो यार, पहले 5-6 बार तो मिस कॉल लगी, और जब सही नंबर लगा तो बैलेंस ही खत्म हो गया..।
पत्नी अपने लिए बाज़ार से एक नई साड़ी लेकर आई तो उस साड़ी को देखकर पति गुस्से में बोला,
"यह तुम क्या पारदर्शी साड़ी उठा लाई हो, इस में तो आर- पार सब दिखाई देता है।"
पत्नी मुस्कुरा कर बोली,
"आप भी बड़े भोले हो, भला जब मैं इस साड़ी को पहन लूंगी तो आर- पार क्या दिखाई देगा?"
उसकी बहुत ही सुंदर बीवी थी...
जिस दिन उसका अंतिम संस्कार था तो उस आदमी का एक ठरकी दोस्त उसकी बीवी के पास पहुंचा और बोला...
दोस्त: "क्या मैं सुरेश की जगह ले सकता हूं?"
बीवी: "हां क्यों नहीं, मुझे कोई ऐतराज़ नहीं पर कब्रिस्तान वालों से पूछ लो"...!!!
संता की बीवी प्रेग्नेंट थी और संता को पूरा भरोसा था कि लड़का ही होगा..
लेकिन
जाने से पहले संता ने बीवी से कहा: टेलीग्राम कर के मुझे खबर कर देना..
संता ने यह भी कहा कि ऑफिस वालों को इस बात का पता नहीं चले, नहीं तो पार्टी देनी पड़ेगी..
संता ने अपनी बीवी को समझाया कि टेलीग्राम में लिख देना कि घड़ी आ गई है..इससे मैं समझ जाऊंगा कि लड़का हुआ है..
डिलिवरी के कुछ दिन पहले ही संता का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया..
डिलिवरी वाले दिन संता की बीवी ने एक सुंदर सी लड़की को जन्म दिया..
अब संता की बीवी परेशान हो गई कि टेलीग्राम में क्या लिखे..
अगर ये लिखा कि घड़ी आ गई है तो संता समझेगा कि लड़का हुआ है..
अगर लिख दिया कि घड़ी नहीं आई है, तो समझेगा कि कुछ गड़बड़ हो गई..
काफी सोच-विचार के बाद संता की बीवी ने टेलीग्राम कर दिया..
संता को जब टेलीग्राम मिला तो उसमें लिखा था..
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.
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घड़ी आ गई है, लेकिन पेंडुलम मिसिंग है..!!!
'मैं आज की रात तुम्हारे साथ नहीं गुजार सकती'
क्या मैं आप के साथ बैठ सकता हूं..?
लड़की चिल्लाई: नहीं, मैं आज की रात तुम्हारे साथ नहीं गुजार सकती..!
कॉफी हाऊस में बैठे सभी लोग देखने लगे..
लड़का शर्मिंदा हो गया...और चुपचाप अपनी जगह पर जाकर बैठ गया..
कुछ देर बाद लड़की उसके पास गई और बोली...
मुझे माफ कर दीजिए.. दरअसल, मैं ह्यूमन नेचर पर रिसर्च कर रही हूं कि लोग शर्मिदा हो कर क्या महसूस करते हैं..!!!
यह सुनते ही लड़का चिल्लाया: क्या? १क् हजार एक रात के..बहुत ज्यादा हैं, कुछ कम करो..!!!
अब सब लोग लड़की को देखकर हंसने लगे..
लड़का: धीरे से लड़की से बोला.. अब महसूस कर खुल के..!!!
पत्नी बहुत देर से दरवाजे पर खड़े होकर पति के आने का इंतजार कर रही थी।
आधी रात को पति महोदय पड़ोसन के साथ घर लौटे...
पत्नी बोली: पड़ोसन के साथ फिल्म देखने जाने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई?
पति: अरे पगली, आजकल बीवी-बच्चों के साथ देखने लायक फिल्म बनती ही कहां है...!!!
नौकरानी का फेसबुक पर अपडेट और साहब का कमेंट
नौकरानी- मैंने फेसबुक पर अपडेट तो किया था की 'मैं गांव जा रही हूं', और ...
आपके पति ने कमेंट भी दिया था 'मिस यू'...!!!
मौलवी साहब फैशन टीवी देख रहे थे...
इतने में उनका एक परिचित आया और बोला...
मौलवी साहब, आप भी?
पहले तो मौलवी साहब हड़बड़ा गए, फिर बोले...
अल्लाह कसम, यकीन कीजिए...
हम इसे नफरत की निगाह से देख रहे थे...!!!
मिसेज कुमार घर से बाहर जा रही थीं...
उन्होंने ताला लगा कर घर के दरवाजे पर दूध वाले के लिए एक नोट चिपका दिया...
घर पर कोई नहीं है..कुछ भी छोड़कर मत जाना...
जब वो दूसरे दिन वापस आईं तो घर का पूरा सामान चोरी हो चुका था...
मिसेज कुमार ने देखा कि जो पर्चा वह लिखकर गई थीं, उस पर कुछ लिखा हुआ है...
चोरों ने लिखा था: धन्यवाद..हमने कुछ भी नहीं छोड़ा...!!!
उन्होंने ताला लगा कर घर के दरवाजे पर दूध वाले के लिए एक नोट चिपका दिया...
घर पर कोई नहीं है..कुछ भी छोड़कर मत जाना...
जब वो दूसरे दिन वापस आईं तो घर का पूरा सामान चोरी हो चुका था...
मिसेज कुमार ने देखा कि जो पर्चा वह लिखकर गई थीं, उस पर कुछ लिखा हुआ है...
चोरों ने लिखा था: धन्यवाद..हमने कुछ भी नहीं छोड़ा...!!!
अंग्रेजी ना आने का नुकसान
ब्वॉयफ्रेंड अपनी गर्लफ्रेंड से...
डार्लिंग, आर यू फ्री टुडे ?
गर्लफ्रेंड : हरामखोर ! फ्री के बच्चे..., आज से पहले कभी पैसे लिए है तुझसे।
'गे' और प्रॉस्टीट्यूट में फर्क
सुहागरात पर घबरा गई पत्नी!
Tuesday 19 June 2012
एक दिन एक बुजुर्ग संता रास्ता भूल जाने की वजह से जंगल में घुस गया।
थोड़ी दूर चलने पर उसने देखा की एक शेर उसकी तरफ ही चला आ रहा है..
बुजुर्ग संता के पास आकर शेर बोला..
ठहर जाओ, मैं तुम्हारा खून पिउंगा..
बुजुर्ग संता : अरे मेरा खून ठंडा पड़ गया है, किसी नौजवान का गरम खून पिओ..
शेर: चुप रहा, फिर बोला..
आज मेरा कोल्डड्रिंक पीने ..का मूड है!!!
टीचर: तुम बड़े होकर क्या करोंगे?
स्टूडेंट: शादी.!!!
टीचर: नहीं, मेरा मतलब है क्या बनोंगे?
स्टूडेंट: दूल्हा..
टीचर: ओह, मेरा मतलब है बड़े होकर क्या हासिल करोंगे?
स्टूडेंट: दुल्हन..
टीचर: इडियट मेरा मतलब बड़े हो कर मम्मी-पापा के लिए क्या करोंगे?
स्टूडेंट: बहू लाऊंगा..
टीचर: गधे, तुम्हारे पापा तुमसे क्या चाहते है?
स्टूडेंट: पोता
टीचर: है भगवान, तुम्हारी जिंदगी का क्या मकसद है?
स्टूडेंट: हम दो, हमारे दो, जब तक तीसरा ना हो....!!!!!
बुजुर्ग संता के पास आकर शेर बोला..
ठहर जाओ, मैं तुम्हारा खून पिउंगा..
बुजुर्ग संता : अरे मेरा खून ठंडा पड़ गया है, किसी नौजवान का गरम खून पिओ..
शेर: चुप रहा, फिर बोला..
आज मेरा कोल्डड्रिंक पीने ..का मूड है!!!
टीचर: तुम बड़े होकर क्या करोंगे?
स्टूडेंट: शादी.!!!
टीचर: नहीं, मेरा मतलब है क्या बनोंगे?
स्टूडेंट: दूल्हा..
टीचर: ओह, मेरा मतलब है बड़े होकर क्या हासिल करोंगे?
स्टूडेंट: दुल्हन..
टीचर: इडियट मेरा मतलब बड़े हो कर मम्मी-पापा के लिए क्या करोंगे?
स्टूडेंट: बहू लाऊंगा..
टीचर: गधे, तुम्हारे पापा तुमसे क्या चाहते है?
स्टूडेंट: पोता
टीचर: है भगवान, तुम्हारी जिंदगी का क्या मकसद है?
स्टूडेंट: हम दो, हमारे दो, जब तक तीसरा ना हो....!!!!!
एक मुर्गा एक मुर्गी के पीछे भाग रहा था,
और उसको पकड़ने की कोशिश कर रहा था,
अचानक भागते-भागते मुर्गी एक कार के नीचे आ गई,
मुर्गा उसको देख कर मन ही मन बोला..
साली लगता है देसी थी..
जान दे दी मगर इज्जत बचा ली..!!!
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Monday 18 June 2012
Adult Film
एक दिन संता अपने उन्नीस दोस्तों के साथ वयस्क फिल्म देखने गया । टिकट लेकर वे सिनेमा हाल में घुसने के लिए लाइन में लग गए।
टिकट जांचने वाला गिनते हुए एक-एक कर उन्हें प्रवेश देने लगा- 'एक.... दो.... तीन.... दस.... अठारह !
उन्नीसवें संताजी से उसने आश्चर्य से पूछा- 'क्यों संताजी, आज उन्नीस के उन्नीस को एकाएक पिक्चर देखने की क्या सूझी ?
संताजी ने बडे ही भोलेपन से जवाब दिया- ' ओ जी बात ये है कि आपने ही तो पोस्टर पर लिखा हुआ है कि '18 से नीचे को प्रवेश नहीं मिलेगा!
इसलिए हम पूरे उन्नीस आए हैं।
Sunday 17 June 2012
jokes
मरीज- डॉक्टर साहब, जब मैं चाय पीता हूं, मेरी आंख में बहुत दर्द होता है।
डॉक्टर- कल से चाय पीते समय कप में से चम्मच निकाल लेना..।
एक मुर्गी ने बाज से शादी कर ली।
शादी के बाद एक मुर्गे ने मुर्गी से कहा- हम क्या मर गए थे जो तूने इस बाज से शादी कर ली?
मुर्गी बोली- शादी तो मैं तुमसे ही करना चाहती थी पर पिताजी की जिद थी कि लड़का एयरफोर्स में हो..!
संता सालों बाद बंता से मिला। पता चला दोनों की शादी हो गयी।
संता- कैसी है तेरी बीवी
बंता- स्वर्ग की अप्सरा है।
संता- मेरी तो अभी जिंदा है।
पति (पत्नी से)- अगर मेरी लॉटरी निकल आये तो तू क्या करेगी..
पत्नी (पति से)- मैं आधे पैसे लेकर तुम्हें छोड़ दूंगी..
पति (पत्नी से)- मेरी 100 रुपये की लॉटरी निकली है..ये ले 50 रुपये और दफा हो जा..
पुलिस इंस्पेक्टर (चोर से)- तुम एक ही दुकान में तीन बार चोरी करने क्यों गए?
चोर- सर, चोरी तो मैंने पहली बार में ही अपनी पत्नी के लिए एक ड्रेस चुराकर कर ली थी.. बाकी दो बार तो मुझे सिर्फ उसे बदलने के लिए जाना पड़ा..
दो बच्चों की मां तीसरी बार शादी कर रही थी, फेरो के वक्त छोटा बच्चा रोने लगा, तंग आकर मां बोली चुप हो जा वरना अगली शादी में नही लेकर जाऊंगी।
पत्नी (पति से)- मैंने तुम्हें बिना देखे शादी की..कैन यू बिलीव दैट?
पति (पत्नी से)- और मेरी हिम्मत तो देखो.. मैंने तुम्हें देखने के बाद भी तुमसे शादी की..???
ज्योतिष- तेरा नाम संता है
संता - जी
ज्योतिष- तेरा एक लड़का है, तूने अभी 5 किलो गेहूं खरीदे हैं।
संता- आप तो अंतरयामी हो
ज्योतिष- गधे, अगली बार कुंडली लाना राशन कार्ड नही।
दो महिलाओं को 20 साल की सजा मिली, 20 साल जेल में गुजारने के बाद जब दोनों रिहा हुई तो दोनों ने मुस्कुराते हुए कहा चलो अब बाकी बातें घर पहुंचकर करते हैं..
पति (पत्नी से)- तुम मेरी जिंदगी हो और..
पत्नी (पति )- और? और क्या? बोलो ना प्लीज!
पति- और.. और धिक्कार है ऐसी जिंदगी पर..
प्रणब दा ... सफल राजनीति से आदर्श चुनौतियों तक ||
जब अधिकाधिक लोग राजनीति के बारे में यह कहते नहीं थकते है कि "राजनीति में विश्वास की जगह नहीं होती", उन सक्रिय लोगों को भावी महामहीम प्रणब मुखर्जी के धैर्य और विश्वास से सीख लेनी चाहिए. सीख लेने की जरूरत न सिर्फ कांग्रेस के लोगो को है, बल्कि इस घटनाक्रम से भाजपा के अति सक्रिय राजनेता एवं संभावित प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को भी जरूरत है, क्योंकि धैर्य और विश्वास न रखने का ही नतीजा है कि वह अपने मातृ- संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की चरम नाराजगी और अपनी पार्टी भाजपा में भी नाराजगी के आखिरी मुहाने पर खड़े है. निश्चित रूप से धैर्य ममता बनर्जी को भी रखने की जरूरत है, जिन्होंने अपनी व्यक्तिगत राजनीति की जल्दबाजी में अलग- थलग होने में कोई कसर नहीं छोड़ी है और साथ ही साथ मुलायम सिंह यादव की अंगड़ाई को भी धैर्य रखने की जरूरत थी, जिसमे उन्होंने तुरुप का पत्ता बनने की कोशिश में शायद अपनी विश्वसनीयता को ही दाव पर लगा दिया.
राजनीति की हर एक व्याख्या इतिहास से शुरू होती है. इससे पहले कि हम प्रणब मुखर्जी की राजनीति की सुलझी चालों की बात करें, हमें यह जान लेना होगा कि प्रणब आखिर राजनीति में इतने अहम् क्यों है, विशेष रूप से कांग्रेस जैसी पार्टी में जिसमे हमेशा से एक ही परिवार का राजनैतिक वर्चस्व रहा है, उसके लिए प्रणब मुखर्जी अपरिहार्य कैसे हो गए ? एक सर्वोत्कृष्ट राजनेता, अक्लमंद प्रशाशक, चलता फिरता शब्दकोष, इतिहासकार- लेखक एवं पिछले ८ वर्षों से कांग्रेस पार्टी की डूबती नाव के खेवनहार इत्यादि उपनामों से नवाजे गए श्री मुखर्जी का जन्म १९३५ को बीरभूम जिले के मिराती नमक गावं में हुआ था. पिता कामदा किंकर मुखर्जी कांग्रेस के सक्रिय सदस्य एवं ख्यात स्वतंत्रता सेनानी थे. उनके पिता पश्चिम बंगाल विधान परिषद् के करीब १४ साल तक सदस्य भी रहे. उनके पदचिन्हों पर चलते हुए प्रणब मुखर्जी ने अपना राजनैतिक जीवन १९६९ से राज्य सभा सदस्य के रूप में आरम्भ किया. १९७३ में उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री के तौर पर कार्य किया. उनका मंत्री के रूप में उल्लेखनीय कार्यकाल १९८२ से १९८४ के बीच रहा जिसमे युरोमनी पत्रिका ने उन्हें विश्व के सर्वश्रेष्ठ वित्त मंत्री के रूप में मूल्यांकन किया. इसके बाद श्री मुखर्जी ने कांग्रेसी सरकार में अनेक विभागों में मंत्री के रूप में कार्य किया. राजनीति में कांग्रेस पार्टी में श्री मुखर्जी की लोकप्रिय नेता की छवि सदा से बनी रही है. कांग्रेस पार्टी की आतंरिक राजनीति की बात करें तो, श्री मुखर्जी के हाशिये पर जाने की कहानी भी लगातार चर्चा में बनी रही. इंदिरा गाँधी के शाशनकाल के दौरान नंबर दो की पोजीशन हासिल करने वाले श्री मुखर्जी का राजनीतिक वनवास श्रीमती इंदिरा गाँधी की आकस्मिक मृत्यु के बाद शुरू हुआ. अपनी सर्वविदित छवि के अनुरूप कांग्रेस पार्टी के परिवार-पूजक नेता श्री राजीव गाँधी को प्रधानमंत्री पद की गद्दी सौपना चाहते थे और बाद में हुआ भी वही. श्री मुखर्जी वही पर मात खा बैठे और अपनी योग्यता और बुद्धिमता को उन्होंने राजनीति समझ लिया. कहा जाता है कि श्री मुखर्जी के उस समय के रवैये को नेहरु-गाँधी परिवार आज तक नहीं भुला पाया और श्री मुखर्जी लगातार अपनी अवहेलना झेलते भी रहे. श्री मुखर्जी के योग्य होने के बावजूद पहले राजीव गाँधी प्रधानमंत्री बने फिर उसके बाद पी.वी.नरसिम्हा राव और हद तो तब हो गयी जब गाँधी परिवार के वर्तमान नेतृत्व ने श्री मुखर्जी के कनिष्ठ रहे डॉ. मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठा दिया और श्री मुखर्जी के मन में हर घाव गहरा होता गया. पर उन्होंने धैर्य और विश्वास का दामन लम्बे समय तक नहीं छोड़ा. यहाँ तक कि कई छोटे बड़े मंत्री डॉ. मुखर्जी को आँख भी दिखाते रहे, कई अहम् फैसलों में उनकी सलाह को ताक पर रखा गया पर उन्होंने विश्वास का दामन और अपनी योग्यता को निखारना जारी रखा, उन्हें अपनी अंतिम जंग जो जीतनी थी.
वर्तमान राजनीति की बारीक़ समझ रखने वाले इस बात पर एक मत है कि कांग्रेस पार्टी पहले प्रणब मुखर्जी के नाम पर भी सिरे से असहमत थी.
सोनिया गाँधी प्रणब के नाम पर लगातार नाक- भौं सिकोड़ती रही है. अब से नहीं बल्कि जबसे मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बने है तब से, या शायद उससे पहले से ही, क्योंकि पहले कांग्रेस पार्टी के नाम पर सोनिया गाँधी ऐसा राष्ट्रपति चाहती थी जो २०१४ में कांग्रेस की भावी सम्भावना राहुल गाँधी को जरूरत पड़ने पर उबार सके, अपनी गरिमा के विपरीत जाकर भी, इसीलिए कुछ कमजोर नाम भी लगातार चर्चा में बने रहे. यदि कांग्रेस पार्टी की मंशा साफ़ होती तो प्रणब मुखर्जी के नाम की सार्वजानिक घोषणा कभी की हो चुकी होती और राष्ट्रपति चुनाव की इतनी छीछालेदर तो नहीं ही होती. भला हो ममता बनर्जी का जो उन्होंने कांग्रेस को तो कम से कम इस बात के लिए मजबूर किया कि वह अपने प्रत्याशियों के नाम तो बताये. इसी कड़ी में प्रणब का नाम कांग्रेस की तरफ से दावेदार के रूप में उभरा, पर उनके साथ और भी एक नाम उभरा जिससे यह साफ़ जाहिर हो गया कि कांग्रेस पार्टी अभी भी प्रणब का विकल्प खोज रही थी. सीधी बात कहें तो प्रणब मुखर्जी भी अपनी दावेदारी को लेकर बाहरी दलों की तरफ से ज्यादा आश्वस्त थे, परन्तु कांग्रेस की तरफ से बिलकुल भी नहीं. यहाँ तक कि उनके संबंधो की बदौलत भाजपा के कई नेता जैसे मेनका गाँधी, यशवंत सिन्हा इत्यादि सार्वजनिक रूप से उन्हें अपनी पसंद बता चुके थे, परन्तु प्रणब मुखर्जी अपनी धूर-विरोधी सोनिया गाँधी को कैसे भूल जाते, जिसने श्री मुखर्जी की राजनीतिक संभावनाओं पर गहरा आघात किया था. अब ले- देकर श्री मुखर्जी को राजनीति के आखिरी पड़ाव पर राष्ट्रपति पद की एक ही उम्मीद बची थी, और उसे वह किसी भी हाल में हासिल करने की मन ही मन ठान चुके थे.
इसी क्रम में श्री मुखर्जी ने अपने संबंधो का जाल बिछाया और राष्ट्रपति चुनाव के समय से काफी पहले इसकी चर्चा अलग-अलग सुरों से शुरू करा दी. इसमें श्री मुखर्जी खुद भी सधे शब्दों में राय व्यक्त करने से नहीं चुके और अपने को मीडिया, अन्य राजनैतिक मित्रों के माध्यम से चर्चा में बनाये रक्खा. श्री मुखर्जी सोनिया गाँधी की पिछली चालो से बेहद सावधान थे, जिसमे पिछले राष्ट्रपति चुनाव में श्रीमती गाँधी अपनी मर्जी का प्रत्याशी उठाकर कांग्रेसियों के सामने रख दिया और क्या मजाल कि कोई कांग्रेसी चूँ भी करता कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए वर्तमान राष्ट्रपति महोदया श्रीमती प्रतिभा पाटिल से भी योग्य उम्मीदवार हैं. श्रीमती सोनिया गाँधी इस बार भी वही दाव चलने की कोशिश में थी और शायद वह कोई छुपा हुआ उम्मीदवार लाती भी जो की महामहीम की कुर्सी की शोभा जरूर बढाता परन्तु सोनिया गाँधी की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को येन-केन-प्रकारेण पूरा ही करता, भले उसकी गरिमा सुरक्षित रहती अथवा नहीं. प्रणब दा इस तथ्य से भली- भांति परिचित थे कि यदि सोनिया ने किसी गदहे को राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार के लिए प्रस्तावित कर दिया तो कांग्रेस की समस्त राजनीति सिर्फ उसकी हाँ में हाँ ही मिलाती नजर आती, फिर उसके बाद प्रणब दा लाख सर पटकते, कुछ नहीं होता, बल्कि उनको बागी कह कर नटवर सिंह, जगन मोहन, हरीश रावत जैसी कार्रवाई का सामना करना पड़ता, और गाना पड़ता "अब पछताए होत क्या जब चिड़िया चुग गयी खेत" |
पर बंगाली बाबु इस बार बेहद सावधान थे, अपनी छवि लगातार खेवनहार की बनाये रखते हुए, उन्होंने सोनिया की किसी चाल को कोई मौका ही नहीं दिया. जब तक सोनिया कुछ समझती तब तक तो गेद को बंगाली बाबु ईडन-गार्डेन की सीमा रेखा के बाहर भेज चुके थे और इस खेल में मुलायम ने दादा का भरपूर साथ दिया. आश्चर्य न करें आप लोग, है तो यह अनुमान ही परन्तु मुलायम जैसा राजनैतिक पहलवान ममता जैसी बिगडैल नेता के साथ प्रेस- कांफ्रेंस करता है और तीन में से दो बेवकूफी भरे नाम का प्रस्ताव करता है. मुलायम जैसे राजनीतिज्ञ को क्या यह आम आदमी को भी पता है कि मनमोहन को राष्ट्रपति बनाने का मतलब उनका प्रधानमंत्री के रूप में नाकाम होना है और कांग्रेस इसे सरेआम स्वीकार करेगी, वह भी ममता- मुलायम के कहने पर यह तो असंभव बात थी. सोमनाथ चटर्जी एक मृतप्राय राजनीतिज्ञ है और उनका नाम सिर्फ बंगाली प्रतीक के रूप में घसीटा गया. ले देकर बचे डॉ. कलाम. मुलायम यह भली- भांति जानते थे कि कलाम की उम्मीदवारी बेहद मजबूत होगी और कांग्रेस उसके मुकाबले में अपने सबसे मजबूत प्रत्याशी को ही मैदान में उतारेगी, और प्रणब मुखर्जी जैसा मजबूत और स्वीकार्य नेता भला कौन होता. बस तस्वीर पानी की तरफ साफ़ हो गयी और जैसे ही कांग्रेस ने दबाव में आकर प्रणब मुखर्जी को प्रत्याशी बनाया, राजनीति के माहिर मुलायम ने तगड़ा दाव खेलते हुए और बिना देरी किये उनके बिना शर्त समर्थन की घोषणा कर दी. इससे पहले प्रत्याशी घोषित करने का जबरदस्त दबाव सपा ने अपने नेताओं के माध्यम से कांग्रेस पर बनाया कि "कांग्रेस अपने प्रत्याशी को लेकर खुद ही भ्रम में है, और उसे प्रणब के नाम की जल्द से जल्द घोषणा करनी चाहिए". यही नहीं बल्कि सपा ने जबरदस्त शंशय बनाते हुए कांग्रेस को यह साफ़ कर दिया कि वह आसानी से उसके किसी भी उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी. परन्तु प्रणब के नाम की सार्वजानिक घोषणा होते ही सपा ने बहूत ही आसानी से उसे समर्थन दे दिया.
दोस्तों, अब मुझे यह बात बिलकुल समझ नहीं आ रही है कि ममता बनर्जी राजनीति के इस खेल में सिर्फ इस्तेमाल हुई है अथवा उन्होंने सोनिया के वर्चस्व को तोड़ने की सार्थक पहल करते हुए अपना राजनैतिक नुकसान जानबूझकर किया है. परन्तु कोई बात नहीं ममता दीदी, आप अपने खेल में सफल रहीं और दादा ने आपको अपनी बहन संबोधित करके आपका सार्वजनिक आभार भी व्यक्त किया है. पर यदि आप इस खेल से अनजान थी तो मुलायम सिंह को भूलियेगा नहीं, उनके पलीते में चिंगारी दिखाने के लिए कमसे कम आप २०१४ लोकसभा चुनाव का इंतजार तो कर ही सकती हैं.
इसी कड़ी में डॉ. कलाम ने भी अपने पत्ते नहीं खोलकर बहूत ही परिपक्व नागरिक होने का सबूत पेश किया है, क्योंकि यदि इस खेल में आप घसीटे जाते तो भारत की जनता अपने आप को अपमानित महसूस करती, क्योंकि संविधान के अनुसार राष्ट्रपति के चुनाव की एक प्रक्रिया है जिसे राजनीतिक दल एक दायरे में रह कर और बिना शोर- शराबे के पूरा करते हैं. परन्तु कांग्रेस पार्टी की आतंरिक राजनीति से यदि गलती हुई है और उस गलती के फलस्वरूप आज देश का प्रत्येक नागरिक इस चुनाव से सीधा जुड़ा महसूस कर रहा है, तब कांग्रेस पर जन भावना की अनदेखी करके जनता का अनादर ही नहीं बल्कि लोकतंत्र का सीधा अपमान करने का भी आरोप लगता, क्योंकि आपका व्यक्तित्व राजनीति से परे है. जनता से जुडाव की बात करें तो डॉ. कलाम आसमान का दर्जा रखते है, और प्रणब मुखर्जी एक सम्मानित नेता होने के बावजूद उनसे कोषों पीछें है, न सिर्फ एक व्यक्ति के तौर पर बल्कि एक सार्वजनिक छवि के तौर पर भी, साफ़ सुथरी छवि के तौर पर भी, देश को दिए गए उनके सीधे योगदान के तौर पर भी, त्याग के तौर पर भी और यही नहीं वरन राष्ट्रपति के पिछले कार्यकाल में डॉ. कलाम ने यह साबित कर दिखाया कि भारत का राष्ट्रपति किसे कहते है, उसे कैसा होना चाहिए, जन- जन से कैसे जुड़कर काम किया जाता है.
प्रणब दा की असली चुनौतिया सिर्फ सोनिया गाँधी को पटखनी देने की ही नहीं है, उसमे तो वह शत- प्रतिशत कामयाब ही रहे हैं, वरन प्रणब मुखर्जी को डॉ. कलाम के सफ़र को ही आगे बढ़ाना होगा, जनभावनाओं के साथ जुड़कर चलना होगा और अलोकतांत्रिक और जनता-विरोधी कार्यों से बचना होगा. गौरतलब है पिछले दिनों अन्ना हजारे के जनांदोलन में डॉ. प्रणब मुखर्जी ने जनभावनाओं को दबाने का काम किया था, चाहे अन्ना हजारे की गिरफ़्तारी हो, किरण बेदी को डांटना हो अथवा अनेक घोटालो इत्यादि में कांग्रेस पार्टी को बचाना हो, प्रणब जी साफ़ छवि के बावजूद मंत्रिमंडल का ही एक हिस्सा रहे है और वह कांग्रेस पार्टी के घोटालों से कहीं न कहीं सीधा न सही तो परोक्ष रूप से जुड़े रहने का दाग जरूर है. राष्ट्रपति पद पर वह किसी पार्टी या किसी आलाकमान के नहीं वरन देश के प्रतिनिधि लगे, नहीं तो भारतीय जनता खुद को ठगा सा महसूस करेगी. यह सच है कि भारत की जनता ९० फीसदी से ऊपर डॉ. कलाम को राष्ट्रपति पद के लिए पसंद करती है, परन्तु वह डॉ. प्रणब मुखर्जी को नापसंद भी नहीं करती. बस यही वह अंतर है जिसमे डॉ. कलाम के आदर्श को आगे बढ़ाना होगा प्रणब दा को और राजनीति में उनकी स्वीकार्यता और व्यापक अनुभव को देखते हुए भारतीय जनता की उम्मीदें निसंदेह बहूत स्वाभाविक है. उम्मीद है भारत देश पिछले ८ वर्ष से नेतृत्व- विहीन होने के आरोपों से उबरेगा और डॉ. प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में एक नया सवेरा सभी भारतवासियों के चेहरे की मुस्कान बनेगा.
जय हिंद !!
लेखक-
(Writer)-
Mithilesh Kumar Singh.
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बोलने वाला तोता चाहिए
एक लेडी वसीम भाई की दुकान पर गई. वसीम भाई मुझे बोलने वाला तोता चाहिए..
वसीम भाई ने एक तोता दिखाया, लेडी, अच्छा वसीम भाई मैं इससे कुछ पूछू,
हां- मैडम कुछ भी पूछ लीजिए..
मैडम: अच्छा तोते ये तो बताओ मैं कैसी लगती हूं..
तोता बोला: वसीम भाई ये तो वेश्या लगती है..
लेडी: वसीम भाई ये तो गाली देता है..
वसीम भाई ने तोते को पानी में डुबाया और पूछा क्यों बे अब गाली देगा..
तोता हां दूंगा, वसीम भाई ने फिर तोते को पानी डुबाया, अब देगा..
तोता बोला दूंगा.
वसीम भाई ने डुबाया और पूछा. अब देगा.
तोता बोला नहीं दूंगा..
वसीम भाई ने मैडम से कहा अब नहीं देगा, आपको जो पूछना है पूछ लो.
मैडम: अच्छा तो ये बताओ कि अगर में अपने घर एक आदमी के साथ आती हूं तो तुम क्या समझोगे....
तोता: आप अपने पति के साथ आई है.
मैडम: बहुत अच्छे. अगर दो लोग हो तो.
तोता: आप आपने पति और देवर के साथ आई है.
मैडम: बहुत अच्छे, अगर तीन के साथ..
तोता: तो आप अपने पति, देवर और भाई के साथ आई है..
मैडम: शाबाश, अगर चार के साथ आई तो..
तोता: वसीम भाई पानी ले आओ, मैं कह रहा था ना कि ये वेश्या है..!!!
Saturday 9 June 2012
रजनीकांत, जब तीसरी कक्षा में पढ़ते थे..
रजनीकांत जिन दिनों तीसरी कक्षा में पढ़ते थे, उनकी रफ नोट्स वाली कॉपी किसी ने चुरा ली थी...
आज उसी कॉपी को हम विकीपीडिया के नाम से जानते हैं...
परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र में लिखा था, इस प्रश्नपत्र में 200 प्रश्न हैं, किन्हीं भी 100 का उत्तर दें...
रजनीकांत ने सभी 200 प्रश्न हल किए, और लिखा, किन्हीं भी 100 को जांच लें...
कौन कहता है, दुनिया दिसम्बर, 2012 में समाप्त हो जाएगी...?
रजनीकांत ने हाल ही में एक लैपटॉप खरीदा है, जिस पर तीन साल की वॉरन्टी है...
बहुत समय पहले, रजनीकांत ने दांतों की मजबूती के लिए एक पाउडर का इस्तेमाल किया...
आज उसी पाउडर को हम 'अम्बुजा सीमेन्ट' के नाम से जानते हैं...
आज उसी कॉपी को हम विकीपीडिया के नाम से जानते हैं...
परीक्षा के दौरान प्रश्नपत्र में लिखा था, इस प्रश्नपत्र में 200 प्रश्न हैं, किन्हीं भी 100 का उत्तर दें...
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कौन कहता है, दुनिया दिसम्बर, 2012 में समाप्त हो जाएगी...?
रजनीकांत ने हाल ही में एक लैपटॉप खरीदा है, जिस पर तीन साल की वॉरन्टी है...
बहुत समय पहले, रजनीकांत ने दांतों की मजबूती के लिए एक पाउडर का इस्तेमाल किया...
आज उसी पाउडर को हम 'अम्बुजा सीमेन्ट' के नाम से जानते हैं...
Tuesday 5 June 2012
महिलाओं की पार्टी में यह सवाल पूछा गया, पूरी बांहों का स्वेटर तैयार करने में कितना समय लगेगा?
उत्तर अलग-अलग था- यदि प्रेमी का है तो तीन दिन में यदि पड़ोसन के पति का है तो तीन हफ्ते में और यदि अपने पति का है तो कम से कम तीन महीने या उससे भी ज्यादा लग सकते हैं।
पिताजी (चिंटू से)- अरे तुम आज तराजू लेकर स्कूल क्यों जा रहे हो?
चिंटू- पापा ने कहा था कि हमें हर बात तौलकर बोलनी चाहिए।
राकेश (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब मैं आज दस बजे उठा हूं तब से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
डॉक्टर- बेटा जल्दी उठा करो, क्योंकि सारी ऑक्सीजन तो बाबा रामदेव और उसके चेले खींच लेते हैं।
एक बार मुकेश अपनी पत्नी के साथ होटल में गया तभी एक महिला ने मुकेश से हैलो किया।
पत्नी (मुकेश से)- कौन थी वो?
पति- तुम दिमाग खराब मत करो, मैं पहले ही परेशान हूं कि वो भी यही पूछेगी।
संता (बंता से)- भाभी का क्या नाम है।
बंता (संता से)- गूगल
संता- ये कैसा नाम है?
बंता- सवाल एक करो जवाब 100 मिलते हैं।
चिंटू पेड़ पर चढ़ा तो ऊपर बैठे बंदर ने पूछा- ऊपर क्यों आया।
चिंटू (बंदर से)- सेब खाने।
बंदर (चिंटू से)- ये तो आम का पेड़ है।
चिंटू- पता है, मैं सेब अपने साथ लाया हूं।
जब किसी पर बुरा वक्त आता है तो उसके सारे दोस्त और उसके घर वाले उसके पीछे खड़े होते हैं।
यकीन नही आता.. तो किसी की भी शादी की फोटो देख लो।
यदि कोई पति कार का दरवाजा खोलकर खड़ा हो जाये और पत्नी से बैठने का आग्रह करे तो यह तय जानिये कि या तो कार नई है या पत्नी।
एक नौकर ने अपने कंजूस मालिक से कहा- साहब, मैंने ख्वाब देखा कि आपने मुझे पच्चीस रुपए एडवांस दिए हैं।
कंजूस मालिक ने जवाब दिया- ठीक है। अगले महीने तुम्हारी तनख्वाह में से काट लिए जाएंगे।
संता ऊंचे पहाड़ पर बैठकर पढ़ाई कर रहा था।
बंता (संता से)- क्या कर रहे हो?
संता- हाईयर स्टडीज।
उत्तर अलग-अलग था- यदि प्रेमी का है तो तीन दिन में यदि पड़ोसन के पति का है तो तीन हफ्ते में और यदि अपने पति का है तो कम से कम तीन महीने या उससे भी ज्यादा लग सकते हैं।
पिताजी (चिंटू से)- अरे तुम आज तराजू लेकर स्कूल क्यों जा रहे हो?
चिंटू- पापा ने कहा था कि हमें हर बात तौलकर बोलनी चाहिए।
राकेश (डॉक्टर से)- डॉक्टर साहब मैं आज दस बजे उठा हूं तब से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही है।
डॉक्टर- बेटा जल्दी उठा करो, क्योंकि सारी ऑक्सीजन तो बाबा रामदेव और उसके चेले खींच लेते हैं।
एक बार मुकेश अपनी पत्नी के साथ होटल में गया तभी एक महिला ने मुकेश से हैलो किया।
पत्नी (मुकेश से)- कौन थी वो?
पति- तुम दिमाग खराब मत करो, मैं पहले ही परेशान हूं कि वो भी यही पूछेगी।
संता (बंता से)- भाभी का क्या नाम है।
बंता (संता से)- गूगल
संता- ये कैसा नाम है?
बंता- सवाल एक करो जवाब 100 मिलते हैं।
चिंटू पेड़ पर चढ़ा तो ऊपर बैठे बंदर ने पूछा- ऊपर क्यों आया।
चिंटू (बंदर से)- सेब खाने।
बंदर (चिंटू से)- ये तो आम का पेड़ है।
चिंटू- पता है, मैं सेब अपने साथ लाया हूं।
जब किसी पर बुरा वक्त आता है तो उसके सारे दोस्त और उसके घर वाले उसके पीछे खड़े होते हैं।
यकीन नही आता.. तो किसी की भी शादी की फोटो देख लो।
यदि कोई पति कार का दरवाजा खोलकर खड़ा हो जाये और पत्नी से बैठने का आग्रह करे तो यह तय जानिये कि या तो कार नई है या पत्नी।
एक नौकर ने अपने कंजूस मालिक से कहा- साहब, मैंने ख्वाब देखा कि आपने मुझे पच्चीस रुपए एडवांस दिए हैं।
कंजूस मालिक ने जवाब दिया- ठीक है। अगले महीने तुम्हारी तनख्वाह में से काट लिए जाएंगे।
संता ऊंचे पहाड़ पर बैठकर पढ़ाई कर रहा था।
बंता (संता से)- क्या कर रहे हो?
संता- हाईयर स्टडीज।
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