एक कैदी को जेल में अपनी पत्नी का पत्र मिला -प्रिय, मैं अपने घर के
पीछे वाले बगीचे में नीबू के पौधे लगाना चाहती हूं। उन्हें रोपने का सही
समय कौन सा है?
कैदी जानता था कि जेल में आने वाले और जाने वाले सारे पत्र जेल प्रहरियों द्वारा पढ़ लिये जाते हैं। उसने पत्नी को जवाब लिखा- प्रिये, तुम कुछ भी करो, पर पीछे वाले बगीचे को हाथ मत लगाना क्योंकि वहीं तो मैंने अपना सारा धन गाड़ रखा है।
लगभग दो सप्ताह बाद उसे पत्नी का का एक पत्र और मिला जिसमें लिखा था- प्रिय, तुम्हें विश्वास नहीं होगा पर तुम्हें पत्र लिखने के एक सप्ताह बाद कुछ लोग फावड़े लेकर आए और उन्होंने सारा बगीचा खोद डाला।
कैदी ने जवाब में लिखा- प्रिये, अब तुम आराम से नीबू के पौधे रोप सकती हो।
कैदी जानता था कि जेल में आने वाले और जाने वाले सारे पत्र जेल प्रहरियों द्वारा पढ़ लिये जाते हैं। उसने पत्नी को जवाब लिखा- प्रिये, तुम कुछ भी करो, पर पीछे वाले बगीचे को हाथ मत लगाना क्योंकि वहीं तो मैंने अपना सारा धन गाड़ रखा है।
लगभग दो सप्ताह बाद उसे पत्नी का का एक पत्र और मिला जिसमें लिखा था- प्रिय, तुम्हें विश्वास नहीं होगा पर तुम्हें पत्र लिखने के एक सप्ताह बाद कुछ लोग फावड़े लेकर आए और उन्होंने सारा बगीचा खोद डाला।
कैदी ने जवाब में लिखा- प्रिये, अब तुम आराम से नीबू के पौधे रोप सकती हो।
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